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लेखनी कहानी -25-Jul-2023 कांडा का कांड

11 साल बाद काण्डा के काण्ड पर दिल्ली की साउथ एवेन्यू कोर्ट का फैसला आ गया । भारत के लोग कितने भुलक्कड़ हैं, आज फिर सिद्ध हो गया । लोग जानते ही नहीं हैं कि कांडा कौन है । अरे भाई, सन 2012 को याद करो । तब दिल्ली में किसकी सरकार थी ? और हरियाणा में भी किसकी सरकार थी ? कुछ याद आया ? नहीं ना ? ऐसे ही भूलने की बीमारी ने कांडा जैसे लोगों को गीतिका शर्मा जैसी लड़कियों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया और पुलिस तथा न्याय व्यवस्था की धीमी गति एवं मीडिया द्वारा सार्वजनिक रूप से मान मर्दन द्वारा गीतिका की मां को भी आत्महत्या करने के लिए उकसाया । छ महीने के अंतराल में दोनों मां बेटियों ने आत्महत्या कर ली । 
अब प्रश्न आता है कि ऐसा क्या हुआ जो दोनों मां बेटियों ने आत्महत्या कर ली और उसका कांडा से क्या संबंध है ? एक एक कर सब खुलासे होंगे । सबसे पहले कांडा के बारे में जानते हैं । सिरसा (हरियाणा) का रहने वाला गोपाल कांडा 1990 के आसपास एक छोटी सी रेडियो मैकेनिक की दुकान करता था । बाद में इसने जूते चप्पलों की दुकान खोल ली । जूते चप्पलों की दुकान से पैसा कमाकर प्लॉट्स खरीद लिये और तेजी के माहौल में उन्हें तिगुने चौगुने दामों पर बेचकर खूब पैसा कमाया । बाद में जूते चप्पलों की फैक्ट्री खोल ली और रीयल एस्टेट का काम शुरू कर दिया । इस धंधे से गोपाल कांडा अरबपति बन गया । 

जब बेहिसाब धन दौलत की वर्षा होने लगती है तब आदमी के "शौक" भी निराले हो जाते हैं । सौन्दर्य प्रारंभ से भी पुरुषों की कमजोरी रहा है । कांडा ने विजय माल्या की एयरलाइंस को देखा और जाना कि ऐयर होस्टेस का कैसे कैसे "उपयोग" किया जा सकता है । प्रात: स्मरणीय माल्या साहब से प्रेरणा लेकर गोपाल कांडा ने एक एयरलाइंस MDLR खोल ली और उसमेः सुन्दर सुन्दर लड़कियों को एयर होस्टेस रख लिया । इन लड़कियों को "मैनेज" करने के लिए एक मैनेजर अरुणा चढ्ढा भी रख ली जो क्या काम करती होगी , आप खुद समझ ही गये होंगे । 

गोपाल कांडा पर न केवल लक्ष्मी जी की कृपा थी अपितु ब्रह्मा जी भी प्रसन्न थे इसलिए गोपाल कांडा ने पहली बार चुनाव लड़ा और विधायक भी बन गया । उसकी "काबिलियत" देखकर उसे हरियाणा सरकार में गृह मंत्री भी बना दिया गया और एक रेडियो मैकेनिक कांडा "माननीय मंत्री" कहलाने लग गये । ईश्वर जब देता है तो "काण्डा" की तरह छप्पर फाड़कर देता है । 

मैं एडवांस में क्षमा मांग रहा हूं क्योंकि घोर नारीवादियों के लिए यह बात असह्य होगी जो मैं लिखने जा रहा हूं । आजकल की युवतियां बहुत कम समय में आसमान में बहुत ऊंचा उड़ना चाहती हैं और इसके लिए वे "शॉर्ट कट" अपनाने से भी हिचकती नहीं हैं । वे इसके लिए कुछ भी "कीमत" चुकाने को तैयार हो जाती हैं । ऐसा ही गीतिका शर्मा के साथ हुआ । दिल्ली की गीतिका आसमान में उड़ना चाहती थी । भगवान ने उसे सुन्दरता थोक के भाव से दे दी थी इसलिए इसी सुन्दरता के कारण गोपाल कांडा ने उसे अपनी कंपनी MDLR में ट्रेनी के रूप में नियुक्त कर लिया । उसकी "सेवाओं" से प्रसन्न होकर कांडा ने उसे छ महीने में ही एयर होस्टेस बना दिया । तीन साल में गीतिका ने "कंपनी" में इतनी "बढिया" सेवाऐं प्रदान कीं कि उसे कंपनी की डायरेक्टर बना दिया गया । गीतिका ने बहुत कम समय में सचमुच में आसमान छू लिया था । 

आसमान में उड़ने के बाद इंसान सीधे धरती पर ही गिरता है और उसके बाद उसका बचना नामुमकिन हो जाता है । गीतिका अब कांडा की "कंपनी" से तंग आ गई थी । लोग कहते हैं कि कांडा को "सीधे" तरीके पसंद नहीं थे , उसे "उल्टे" तरीके पसंद आते थे । गीतिका को "उल्टे" तरीके पसंद नहीं थे । बस, समस्या की जड़ यहीं थी । 

गीतिका ने कांडा की नौकरी छोड़ दी और दुबई चली गई । कांडा ने उसे अपने "प्रभाव" का इस्तेमाल कर धमकाना और दबाना शुरू कर दिया । तंग आकर वह दुबई से वापस भारत आ गई और कांडा की "कंपनी" फिर से ज्वाइन कर ली । समस्या की जड़ सबको पता चल ही गई है तो अब बताइए कि गीतिका के पास क्या विकल्प बचा था ? जो विकल्प बचा उसने वही काम में लिया और 5 अगस्त 2012 को दिल्ली में अपने मकान में आत्महत्या कर ली । एक सुसाइड नोट भी छोड़ गई थी वह । गीतिका के मरने के छ महीने बाद उसकी मम्मी ने भी आत्महत्या कर ली । 

जनता की हालत देखिये । कांडा की इतनी बदनामी के बावजूद हरियाणा की जनता उसे विधान सभा चुनावों में हर बार जिताती रही । जनता ऐसे लोगों को कैसे चुनती है ? इस पर भी सोचना चाहिए । वह आज भी हरियाणा लोक जनहित पार्टी, जो उसी की पार्टी है से विधायक है । 

अब न्यायालय पर क्या ही लिखें ? जब सुप्रीम कोर्ट रात को दो दो बजे अपने स्पेशल बैंच बनाकर "तीस्ताओं" को जमानत दे देता है तो अपराधियों को सजा कौन देगा ? सौ बात की एक बात है कि अब जनता अपने भगवान के सहारे ही रहे , उसी पर विश्वास करे । सरकार , पुलिस और न्यायालयों पर भूलकर भी भरोसा न करे । और हां, जनता भी कम दोषी नहीं है जो कांडा, शहाबुद्दीन, मुख्त्यार, अतीक, आजम खान जैसे लोगों को "माननीय" बना देती है । 

श्री हरि 
25.7.23 

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